
उत्तराखंड ने खनन मंत्रालय द्वारा जारी राज्य खनन तत्परता सूचकांक (SMRI) में ‘सी’ कैटेगरी में पंजाब और त्रिपुरा के साथ अग्रणी स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में खनन क्षेत्र में पारदर्शिता, दक्षता, और सतत विकास के लिए किए गए सुधारों का परिणाम है।
प्रमुख बिंदु:
SMRI का उद्देश्य: यह सूचकांक खनन सुधारों, नीतिगत पारदर्शिता, पर्यावरण संतुलन, और प्रशासनिक दक्षता जैसे मापदंडों पर राज्यों का मूल्यांकन करता है, जिससे सकारात्मक प्रतिस्पर्धा और सुधारों को बढ़ावा मिलता है।
कैटेगरी रैंकिंग:
ए: मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान
बी: गोवा, उत्तर प्रदेश, असम
सी: उत्तराखंड, पंजाब, त्रिपुरा
उत्तराखंड के सुधार:
ई-नीलामी प्रणाली: खनन पट्टों के आवंटन में पारदर्शिता।
डिजिटलीकरण: खनन प्रक्रियाओं को सरल और सुगम बनाया।
सैटेलाइट निगरानी: अवैध खनन पर नियंत्रण।
ई-रवन्ना: खनिज परिवहन में राजस्व हानि रोकने के लिए सख्ती।
सतत खनन: पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा।
खनन राजस्व: 800 करोड़ की वृद्धि, जो सरकार की प्रभावी नीतियों का प्रमाण है।
मुख्यमंत्री का बयान: विकास और पर्यावरण संतुलन के साथ उत्तरदायी और आधुनिक खनन प्रणाली विकसित करना प्राथमिकता।
प्रभाव और भविष्य:
उत्तराखंड की नीतियां अन्य राज्य जैसे हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के लिए प्रेरणा बन रही हैं। सरकार का लक्ष्य खनन क्षेत्र में पारदर्शिता, नवाचार, और पर्यावरण संरक्षण के साथ देश में आदर्श बनना है। यह उपलब्धि राज्य के सशक्त शासन और सामूहिक प्रयासों का परिणाम है।